बिहार का शिक्षा विभाग इन दिनों ‘मिशन मोड’ में नजर आ रहा है। एक तरफ जहां शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और विभाग के आला अधिकारी लगातार समीक्षा बैठकें कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ धरातल पर शिक्षकों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। चाहे बात समय पर वेतन भुगतान की हो या फिर बहुप्रतीक्षित प्रमोशन की, विभाग द्वारा जारी किए गए ‘फरमान’ और जिलों में उनके ‘क्रियान्वयन’ के बीच एक गहरी खाई दिखाई दे रही है। इसी उथल-पुथल के बीच, नौकरी की आस लगाए बैठे युवाओं के लिए BPSC TRE 4.0 को लेकर समस्तीपुर से एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है, जो आने वाली बड़ी बहाली का संकेत दे रही है।
वेतन भुगतान: आदेश सख्त, लेकिन खाते खाली

शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक एसओपी (SOP) जारी करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए थे कि शिक्षकों का वेतन हर हाल में महीने की 1 तारीख को मिल जाना चाहिए। शिक्षा मंत्री ने यहां तक कहा कि वेतन का लंबित होना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लेकिन क्या वाकई ऐसा हो रहा है?
वरिष्ठ पत्रकार और विश्लेषक अरुण पांडे के अनुसार, विभाग की मंशा और मैदानी हकीकत में विरोधाभास है। स्थिति यह है कि:
- बकाया वेतन का संकट: अक्टूबर महीने में वेतन संरक्षण और एरियर भुगतान के आदेश दिए गए थे, लेकिन कई जिलों में विशिष्ट शिक्षकों को जनवरी से अब तक का एरियर नहीं मिला है।
- हेड टीचर्स की व्यथा: बीपीएससी से बहाल हुए हजारों हेड टीचर्स को पिछले कई महीनों (अगस्त के बाद) से वेतन नहीं मिला है। विभाग ने वेतन संरक्षण का फॉर्मेट तो भेज दिया, लेकिन भुगतान की प्रक्रिया कछुआ गति से चल रही है।
- जवाबदेही का अभाव: एसीएस (अपर मुख्य सचिव) द्वारा शो-कॉज नोटिस जारी करने के बावजूद, जिला स्तर पर डीपीओ और क्लर्क स्तर पर फाइलें अटकी रहती हैं।
प्रमोशन का पेंच: पद बढ़ा, लेकिन क्या पैसा बढ़ेगा?
शिक्षकों के प्रमोशन को लेकर सरकार की नई नीति पर सवाल उठने लगे हैं। इसे ‘प्रोन्नति’ (Promotion) के बजाय केवल ‘पदोन्नति’ (Change of Designation) कहना ज्यादा उचित होगा। सरकार ने तय किया है कि कक्षा 1 से 5 के शिक्षकों को कक्षा 6 से 8 में प्रमोट किया जाएगा।
यहां सबसे बड़ा सवाल आर्थिक लाभ का है। यदि किसी शिक्षक का केवल क्लास बदला जाता है और उसके वेतनमान में कोई विशेष वृद्धि नहीं होती, तो यह प्रमोशन केवल कार्यभार बढ़ाने जैसा है। इसके अलावा, नगर निकाय और पंचायती राज के अधीन कार्यरत नियोजित शिक्षकों को हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद अभी तक वह वरीयता और प्रमोशन नहीं मिला है, जिसके वे हकदार थे।

ट्रांसफर पॉलिसी में विरोधाभास: गृह जिला बनाम गृह प्रखंड
ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर विभाग की नीति और वर्तमान में किए जा रहे अलॉटमेंट में भारी कन्फ्यूजन है। एक तरफ नीति कहती है कि शिक्षकों को उनके गृह प्रखंड (Home Block) में तैनात नहीं किया जाएगा ताकि अनुशासन बना रहे। वहीं दूसरी तरफ:
- सक्षम परीक्षा पास करने वाले 27,000 अंतर-जिला ट्रांसफर वाले शिक्षकों को उनके गृह जिले में मनचाहा प्रखंड दिया जा रहा है।
- जब सॉफ्टवेयर के जरिए पांच चॉइस मांगी जा रही हैं और उन्हें अलॉट भी किया जा रहा है, तो फिर उन्हें गृह प्रखंड से बाहर करने की नीति कैसे लागू होगी?
यह स्थिति स्पष्ट करती है कि ट्रांसफर पॉलिसी अभी भी प्रायोगिक दौर में है और इसमें कई संशोधन संभव हैं।
BPSC TRE 4.0: रिक्तियों का नया गणित
शिक्षक भर्ती के चौथे चरण (TRE 4.0) का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों के लिए समस्तीपुर जिले से एक सकारात्मक खबर आई है। वहां 1,000 से अधिक पद रिक्त बताए गए हैं। यह आंकड़ा केवल एक जिले का है, जो पूरे राज्य की तस्वीर साफ करता है।
आगामी भर्ती के मुख्य बिंदु:
- संभावित पद: विभागीय अनुमानों के मुताबिक, TRE 4.0 में कम से कम 25,000 से 30,000 रिक्तियां आने की संभावना है।
- छात्र-शिक्षक अनुपात: पटना जैसे जिलों में जहां शिक्षकों की संख्या छात्रों के अनुपात में अधिक हो गई है, वहां नए पद सृजित होने की संभावना कम है। वहीं, ग्रामीण और दूरदराज के जिलों में बंपर बहाली देखने को मिलेगी।
- विषयवार कमी: अभी भी कई स्कूलों में विज्ञान, गणित और भाषा के शिक्षकों की भारी कमी है, जिसे इस चरण में भरने की प्राथमिकता होगी।
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) और शिक्षक भर्ती
बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) बिहार राज्य की प्रमुख भर्ती संस्था है। पिछले कुछ वर्षों में, BPSC ने शिक्षा विभाग के साथ मिलकर ‘शिक्षक भर्ती परीक्षा’ (TRE) के माध्यम से लाखों शिक्षकों की नियुक्ति की है। यह प्रक्रिया बिहार की शिक्षा व्यवस्था में गुणवत्ता लाने के उद्देश्य से शुरू की गई थी। आयोग का कार्य पारदर्शी तरीके से परीक्षाओं का आयोजन और परिणाम घोषित करना है, जबकि रिक्तियों का निर्धारण शिक्षा विभाग द्वारा रोस्टर क्लियरेंस के आधार पर किया जाता है।
बिहार की शिक्षा व्यवस्था फिलहाल बदलाव के दौर से गुजर रही है। ऊपर से आदेश तो त्वरित गति से जारी हो रहे हैं, लेकिन जिला और प्रखंड स्तर पर प्रशासनिक सुस्ती (Red Tapism) इन सुधारों की राह में रोड़ा बनी हुई है। वेतन विसंगति और एरियर भुगतान जैसे मुद्दों पर जब तक अधिकारियों की जवाबदेही तय नहीं होगी और उन्हें दंडित नहीं किया जाएगा, तब तक शिक्षकों का संघर्ष जारी रहेगा।
दूसरी ओर, BPSC TRE 4.0 की सुगबुगाहट ने बेरोजगार युवाओं को नई उम्मीद दी है। रोस्टर क्लियरेंस के बाद रिक्तियों की वास्तविक संख्या सामने आएगी, लेकिन इतना तय है कि बिहार में शिक्षकों की बहाली का सिलसिला अभी थमने वाला नहीं है।
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